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Showing posts from May, 2020

4.7 से घटकर 1.3 हुई TikTok की रेटिंग, भारत में Tik Tok बैन करने की मांग

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शॉर्ट विडियो मेकिंग प्लैटफॉर्म TikTok की प्ले स्टोर पर यूजर्स रेटिंग अचानक में घटकर 1.3 पर आ गई है। कुछ दिन पहले तक प्ले स्टोर पर TikTok की रेटिंग 4.7 थी और देखते ही देखते यह कम होकर 1.3 पर पहुंच गई है। दरअसल, यूट्यूब और टिकटॉक के बीच बेहतर कौन है, इस सवाल के साथ शुरू हुई वर्चुअल फाइट में अब ढेर सारे इंटरनेट यूजर्स भी शामिल हो गए हैं। ढेरों यूजर्स टिकटॉक को 1 स्टार दे रहे हैं और इसे भारत में बैन तक करने की मांग कर रहे हैं  गूगल प्ले स्टोर पर TikTok ऑफिशल ऐप को करीब 2.66 करोड़ से ज्यादा यूजर्स रेटिंग दे चुके हैं।  इनमें सबसे ज्यादा 1 स्टार देने वाले यूजर्स शामिल हैं और ऐप की मौजूदा रेटिंग प्ले स्टोर पर 1.3 के करीब पहुंच चुकी है। इसी ऐप का लाइट वर्जन TikTok Lite भी प्ले स्टोर पर मौजूद है। इस लाइट ऐप को करीब 7 लाख यूजर्स ने रेटिंग्स दी हैं और इनमें भी सबसे ज्यादा 1 स्टार रेटिंग देने वाले यूजर्स शामिल हैं।  TikTok Lite की मौजूदा रेटिंग 1.1 स्टार हो चुकी है।   वहीं, ऐपल ऐप स्टोर पर इसकी रेटिंग 4.8 स्टार है। क्या है पूरा मामला? टिकटॉक की रेटिंग अचानक घटने की वजह वर्चुअल वर्ल्ड में चल रहा You

पीएम मोदी ने जिस Y2K संकट का जिक्र किया, क्या है Y2K, जानिए यहां

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कोरोना वायरस लॉकजाउन के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने देश को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने लॉकडाउन-4 के संकेत दिए और कई बातें बताईं. इस दौरान उन्होंने एक दिलचस्प तथ्य सामने रखा. कहा-आज पूरी दुनिया को भरोसा है कि भारत मानव जाति के लिए कुछ अच्छा कर सकता है. इस सदी की शुरुआत में जब Y2K क्राइसिस सामने आया था, तब भी भारत के IT  शोधकर्ताओं  ने ही दुनिया को इससे निकालने में मदद की थी. आखिर क्या था Y2K इस शब्द Y2K ने एक बार फिर दिमाग पर जोर डालने को मजबूर कर दिया. दरसअल यह कम्प्यूटर तकनीकि की दुनिया में आया सबसे बड़ा संकट था. दुनिया 20वीं सदी से 21वीं सदी में प्रवेश कर रही थी. इसी समय यह मामला सामने आया  जिससे लगने लगा कि पूरी दुनिया में कंप्यूटर संचार तंत्र प्रभावित हो जाएगा और कंप्यूटर खत्म हो जाएंगे. इसकी वजह था यही Y2K (वाई 2के बग). दरअसल माजरा इतना था कि सदी समाप्त होने के बाद कम्प्यूटर की तारीख में बदलाव न होने की समस्या थी और इससे व्यापार, तकनीक, अनुसंधान सभी क्षेत्रों को बड़ा नुकसान था.  पहले समझते हैं, क्या है Y2K वाई 2के’ का वाई साल (ईयर) को प्रदर्शित करता है, तो वहीं 2के 2000 को. इलेक्

Story of Y2K, PM Modi told in his speech

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Prime Minister Modi addressed the country amid Corona virus lockdown. During this, he gave the signs of Lockdown-4 and told many things. During this, he presented an interesting fact. Said- Today the whole world is confident that India can do something good for mankind. When the Y2K Crisis came out in the beginning of this century, it was the IT researchers of India who helped the world out of it.  After all, what was Y2K?  This word Y2K once again forced the mind to be stressed. Actually it was the biggest crisis in the world of computer technology. The world was entering the 21st century from the 20th century.  At the same time, this issue came up, which led to the feeling that the computer communication system would be affected and computers would be destroyed all over the world. The reason for this was Y2K (Y2K bug). In fact, it was enough that after the end of the century, there was a problem of computer date changes and it was a big loss for business, technology, research and all

Kutch Crisis, PM Modi told in his speech

What is Kutch Crisis?  Kutch district is a district of Gujarat state in western India. Covering an area of 45,674 km², it is the largest district of India. The population of Kutch is about 2,092,371. It has 10 Talukas, 939 villages and 6 Municipalities. (Source: Wikipedia)  In 2001, a violent earthquake measuring 7.7 on the Richter scale, its epicentre 20km from Bhuj, the district capital, left more than 22,000 people dead, destroyed close to 400,000 houses, rendered more than 600,000 people homeless, and razed entire villages and towns like Anjar, Bhachau and Rapar. That fateful morning of the 52nd Republic Day followed a ravaging cyclone in 1998 and two years of drought in Kutch. Did these calamities force the people of Kutch to look at the other side of the philosophical riddle—the new and the untapped? Yes, say many survivors of the Bhuj earthquake, as well as the region’s civil society foot soldiers and saviours, welfare workers and resurrection architects who galvanized into a co

मोदी जी सुन लो, Lockdown को हम दिल दे चुके सनम!

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आज जबसे माननीय के 8 बजे आगमन (PM Modi 8 PM Speech on Lockdown 4.0) की सुखद सूचना प्राप्त हुई है तब से हमारी बेचैनियां और बेताबियां कुछ इस तरह मचल रही हैं जैसे भीषण गर्मी में त्रस्त मगर अनायास ही पानी से मुंह बाहर निकाल लिया करते हैं. इस व्याकुलता को आगे बढ़ाने से पहले मोदी जी (PM Modi) हम तो आपसे एक करबद्ध निवेदन कर डालना चाहते हैं कि आप तो इस लॉक डाउन को मूर्त रूप दे इससे हमारा बियाह ही रचा दो. अब हम इस रिश्ते को वैध एवं औपचारिक रूप से मान्यता देने का पक्का मन बना लिये हैं. अब 'मन की बात' तो आप ख़ूब समझते ही हैं न. एक बार बियाह हो जाए तो अपन भी दिल पे पत्थर रख यह सोच इसे निभा लेंगे कि भैया! अरेंज मैरिज़ में तो समझौते करने ही पड़ते हैं. सौ बात की एक बात ये है जी कि अब हम और हमारे लॉक डाउन के बीच आप लवगुरु बन के न रहें, तो भी चलेगा. वो क्या है न कि इतने दिनों में इसे हम इतनी अच्छी तरह जान चुके हैं कि जन्म-जन्मांतर का सा रिश्ता लगने लगा है. सड़क, मल्टीप्लेक्स, दुकानें, सब्जियां क्या होती हैं और जानवर आजकल क्यों इतने चौड़ाकर चल रहे वो भी इसने हमें सिखा ही दिया है. और हां, ज़बर मोहब्बत भी

लॉकडाउन में उलझा... भारत

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भारत शायद 1 जुलाई से पहले ही कोरोना की वैक्सीन पाने में सफल हो जाएगा और सब कुछ पहले जैसा समान्य हो जाएगा। और शायद हर भारतीय यही कामना करता है,  पर जिस तरीके से मौजूदा स्थिति में भारत सरकार और राज्य सरकारें अपना लॉक डाउन पर फैसला ले रही है उससे तो यही लगता है कि शायद लोगों की जिंदगी अर्थव्यवस्था के आगे नतमस्तक है। वैसे तो छात्र अर्थव्यवस्था के मामले में कोई भी योगदान नहीं देते हैं, परंतु जब बात उनके स्वास्थ्य की  आती है  तब हर  किसी के लिए  उनकी परीक्षाएं उनके स्वास्थ्य से उपर हो  जाती हैं। पर अब हर किसी को स्कूल खोलना है मानो कि स्कूल में जाने से सब कुछ बहुत जल्दी ठीक हो जाएगा, बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है पर असलियत में तो स्कूल के धंधे बंद हो गए हैं, कमाई का जरिया निकालना है,  ऑनलाइन शिक्षा पद्धति एक नए विकल्प के रूप में आया है,  परिवर्तन संसार का नियम है पर उसका समय भी ठीक होना चाहिए। अभी हम इतने सक्षम नहीं है और ना ही हर घर में इन्टरनेट है, और अगर है भी तो भैया नेटवर्क का डब्बा गोल है, तो इसके लिए तो हमें अभी कई चीजों पर ध्यान देना है तभी यह सम्भव हो पायेगा।  सरकार कहती है ह

लॉकडाउन जिंदगी, ये कैसा वक्त है, ये कैसा दौर है, पूरी दुनिया बेतरह डरी हुई है....

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क्वारंटाइन में मैं अकेले उदास कमरे में कैद हूं। घर की बॉलकनी से सड़क की तरफ देखता हूं... खाली, वीरान, अंतहीन सड़क। जिस पर कल तक भीड़-भाड़ और आती-जाती हजारों कारों की हार्न की कर्कश आवाजें गूंजती थीं। आज अजब खामोशी है। इन लंबी, सीधी, सुनसान सड़कों के किनारे खड़े अकेले तन्हा उदास पेड़। दूर दूर तक कोई इंसान नहीं। सिर्फ कुछ आवारा कुत्तों के भौंकने की आवाजें, नीरवता को भंग करती हैं। चौराहे पर पत्थरों के कुछ महापुरुषों की मूर्तियां हैं, जिनके चेहरों पर भी मुर्दानगी दिखती है। भरी दोपहरी में हर तरफ एक अजीब-सी डरावनी निस्तब्धता है, जो अपने चारों तरफ शोकपूर्ण माहौल तैयार कर रही है। इसे मरघट का सन्नाटा कहूं या जीवन की चिर-प्रतीक्षित शांति। हमेशा जीवन्त रहने वाला ये शहर इतना निष्प्राण मुझे कभी नहीं लगा। वक्त कैसे अनोखे ढंग से बदलता और चौंकाता है। हमें अक्सर भीड़ से भरी इस दुनिया में अकेलेपन का अहसास होता था। पर अब लॉकडाउन के इस अकेलेपन में अचानक गुम हुई उस भीड़ ने हमारी संवेदनाओं को सुन्न कर दिया है। अब चारों तरफ पसरी खामोशी और उसके दबाव ने, अकेलेपन को और गहरा कर दिया है। कितनी